भारतीय संस्कार पाठ संस्कृत का subjective

 

  6 भारतीय संस्कारा 

(1)शैक्षणिक संस्कार कौन -कौन से है शैक्षणिकसंस्कार में अक्षरारंभ,उपनयन, वेदारंभ,मुंडन,समावरतन संस्कार आदि होते हैं ।

(2)भारतीय संस्करण पाठ के आधार पर स्पष्ट करें कि संस्कार कितने हैं तथा उनके नाम क्या है?, अथवा संस्कार कितने प्रकार के होते हैं और कौन-कौन?संस्कार कुल 16 है । जन्म से पूर्व तीन है -गर्भाधान,पुंसवन और सीमन्तोनयन संस्कार होते हैं। शैशवावस्था में छः संस्कार होते हैं -जातकर्म,नामकर्म, निष्क्रमण, अन्नप्राशन,चूडाकर्म,और कर्नबेध,। पांच शैक्षणिक संस्कार हैं-अक्षरारम्भ,उपनयन,वेदारम्भ,केशान्त और समावर्तन। यौवनावस्था में विवाह संस्कार होता है तथा व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसका अन्त्येष्टि संस्कार किया जाता है।

(3)संस्कार किसे कहते हैं विवाह संस्कार का वर्णन करें पांच वाक्य में उत्तर दें-व्यक्ति में गुणो के धारण को संस्कार कहते हैं। संस्कार का वास्तविक अर्थ शुद्ध होना है। वैसे कुल 16 संस्कार माने गए हैं। विवाह संस्कार होने पर ही वस्तुत मनुष्य गृहस्थ जीवन मैं प्रवेश करता है विवाह एक पवित्र संस्कार है जिसमें अनेक प्रकार के कर्म कौन होते हैं उनमें वचन देना, मंडप बनाना, वधू के घर वरपक्ष का स्वागत,वर वधू का एक दूसरे को देखना, कन्यादान, अग्रिस्थापना, पाणिग्रहण,लाजाहोम, सप्तपदी, सिन्दूरदान आदि मुख्य हैं।

(4)भारतीय संस्कार पाठ में लेखक क्या शिक्षा देना चाहता है-लेखक इस पाठ से हमें यह शिक्षा देना चाहता है । कि संस्कारों के पालन से ही व्यक्तित्व का निर्माण होता है । संस्कारों का उचित समय पर पालन करने से गुण बढ़ाते हैं और दोष का नाश होता है। भारतीय संस्कृति की विशेषता संस्कारों के कारण ही है। लेखक हमें संस्कारों का पालन करने का संदेश देते है।

(5)भारतीय जीवन में संस्कार का क्या महत्व है-भारतीय जीवन में प्राचीन काल में ही संस्कार के अपने महत्व को संजोये रखा है। यहां ऋषियों की कल्पना थी कि जीवन के सभी मुख्य अवसरो में वेदमंत्रों का पाठ, बड़ों का आशीर्वाद,हवन एवं परिवार के सदस्यों का सम्मेलन होना चाहिए। संस्कार दोषो को दूर करता है। भारतीय जीवन दर्शन का महत्वपूर्ण स्रोत स्वरूप संस्कार है।

(6)केशान्त संस्कार को गोदान संस्कार भी कहा जाता है क्यों-केशान्त संस्कार में गुरु के घर में ही शिष्य का प्रथम (क्षौरकर्म)हजामत होता था। इसमें छात्र के घर वाले गुरु के यहां गाय दान में देते हैं। इसलिए केशांत संस्कार को गोदान संस्कार कहा जाता है।

(7)भारतीय संस्कार पाठ का पांच वाक्य में परिचय दें-भारतीय संस्कार आप पाठ भारतीय संस्कारों का महत्व बताता है।भारतीय जीवन दर्शन में क्षौरकर्म (मुण्डन),उपनयन, विवाह आदि संस्कारों की प्रसिद्ध है छात्र गण संस्कारों का अर्थ तथा उनके महत्व को जान सके, इसलिए इस स्वतंत्र पाठ को रखा गया है । इससे दोष दूर होता है तथा गुण प्राप्त होता है।

(8)भारतीय संस्कार पाठ में लेखक का क्या विचार है-भारतीय संस्कारा पाठ में लेखक का विचार है कि मनुष्य के व्यक्तित्व का निर्माण सुसंस्कार से ही होता है । इसलिए विदेशो में भी संस्कारों के प्रति उन्मुख और जिज्ञासु है।

(9)भारतीय संस्कार पाठ के आधार पर बताइए कि संस्कार कितने हैं। तथा जन्म पूर्व संस्कारों का नाम लिखें-भारतीय संस्कार पाठ के आधार पर कुल संस्कार 16 है। जन्म पूर्व संस्कार तीन है- गर्भाधान, पुंसवन और सीमन्तोनयन ।

 

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