12 कर्णस्य दानवीरता
(1)कर्णस्य दानवीरता में कर्ण के कवच और कुंडल की विशेषताएं क्या थी- कर्ण के कवच और कुंडल की विशेषता यह थी कि जब तक यह उसके पास रहता, दुनिया की कोई शक्ति उसे मार नहीं सकती थी।
(2)दानवीर कर्ण के चरित्र पर प्रकाश डालें-दानवीर कर्ण एक साहसी और महादानी पुरुष था। वह सत्यवादी और मित्र का विश्वास पात्र था। दुर्योधन द्वारा किए गए उपकार को वह कभी नहीं भूला। उसका कवच- कुंडल उभेद था फिर उसने इंद्र को दान स्वरूप दे दिया। कुरुक्षेत्र में वीरगति को पाकर वह भारतीय इतिहास में अमर हो गया।
(3)कर्ण कौन था एवं उसके जीवन से हमें क्या शिक्षा मिलती है–कर्ण सूरज और कुंती का पुत्र था। महाभारत के युद्ध में उसने कौरव पक्ष से लड़ाई की। इस पाठ से हमें यह शिक्षा मिलती है। कि दान ही मनुष्य का सर्वश्रेष्ठ गुण है, क्योंकि केवल दान ही स्थिर रहता है। शिक्षा समय परिवर्तन के साथ समाप्त हो जाती है । वृक्ष भी समय के साथ नष्ट हो जाता है । इतना नहीं , जलाशय भी सूखकर समाप्त हो जाता है। इसलिए कोई मोह किए बिना दान अवश्य करना चाहिए।
(4)दानवीर कर्ण ने इंद्र को दान में क्या दिया,? तीन वाक्य में उत्तर दें। अथवा कर्ण दानवीरता पाठ के आधार पर दान की महत्ता को बताइए- दानवीर कर्ण ने इंद्र को अपना कवच और कुंडल दान में दिया । कर्ण को ज्ञात था की यह कवच और कुंडल उसका प्राण रक्षक है। लेकिन दान स्वाभाव होने के कारण उसने इंद्र रूपी याचक को खाली लौटने नहीं दिया।
(5)कर्णस्य दानवीरता पाठ के नाटककार कौन है ? कर्ण किसका पुत्र था तथा उन्होंने इंद्र को दान में क्या दिया?- कर्णस्य दानवीरता पाठ के नाटककार भास है।कर्ण कुंती का पुत्र था तथा उन्होंने इंद्र को दान में अपना कवच और कुंडल दिया।
(6)कर्णस्य दानवीरता पाठ के आधार पर दान किए महिमा का वर्णन करें। अथवा , कर्णस्य दानवीरता पाठ के आधार पर दान के महत्व का वर्णन करें–कर्ण जब कवच और कुंडल इंद्र को देने लगते हैं । तब शल्य उन्हें रोकते हैं । इस पर कर्ण दान की महिमा बदलते हुए कहते हैं । कि समय के परिवर्तन से शिक्षा नष्ट हो जाती है, बड़े-बड़े वृक्ष उखड़ जाते हैं, जलाशय सूख जाते हैं, परंतु दिया गया दान सदैव स्थिर रहता है,अर्थात दान कदापि नष्ट नहीं होता है।
(7)कर्ण के प्रणाम करने पर इंद्र ने उसे दीर्घायु होने का आशीर्वाद क्यों नहीं दिया?-इंद्र जानते थे कि कर्ण को युद्ध में मारना है। कर्ण को यदि दीर्घायु उत्तरी होने का आशीर्वाद दे देते, तो कर्ण की मृत्यु युद्ध में संभव नहीं होती। वह दीर्घायु हो जाता। कुछ नहीं बोलने पर कर्ण उन्हे मूर्ख समझता । इसलिए इंद्र ने उसे दीर्घायु होने का आशीर्वाद न देकर सूर्य ,चंद्रमा, हिमालय और समुद्र की तरह यशस्वी होने का आशीर्वाद दे दिया।
(8)कर्ण ने कवच और कुंडल देने के पूर्व इंद्र से किन-किन चीजों को दान स्वरूप लेने के लिए आग्रह किया?–इंद्र कर्ण से बड़ी भिक्षा चाहते थे। कर्ण समझ नहीं सका की इंद्र भिक्षा के रूप में उनका कवच और कुंडल चाहते हैं । इसलिए कवच और कुंडल देने के पूर्व कर्ण इंद्र से अनुरोध किया कि वे सहस्त्र गाये, हजारों घोड़े, हाथी, अपर्याप्त स्वर्ण मुद्राएं और पृथ्वी ( भूमि),अग्रिष्टोम फल या उसका सिर ग्रहण करें।
(9)इंद्र ने कर्ण से कौन सी बड़ी भिक्षा मांगी और क्यों–इंद्र ने कर्ण से बड़ी भिक्षा के रूप में कवच और कुंडल मांगी अर्जुन की सहायता करने के लिए क्योंकि जब तक कर्ण के पास कवच और कुंडल रहता उसे मारना असंभव था।