स्वामी दयानंद पाठ संस्कृत कक्षा 10th subjective

 

  9 स्वामी दयानंद

(1)स्वामी दयानंद कौन थे? संक्षेप में लिखेंस्वामी दयानंद आधुनिक भारतीय समाज के महाद्धारक थे । उसने स्त्री शिक्षा विभाग मूर्ति पूजा खंडन छुआछूत एवं बाल विवाह जैसे कार्यों में महत्वपूर्ण योगदान दिया

(2)स्वामी दयानंद कब से मूर्ति पूजा की विरोधी हो गए और क्यों?-शिवरात्रि के रात स्वामी दयानंद ने एक मूषक को भगवान के चढ़ाए गए प्रसाद को खाते हुए देख लिया जिससे उसके मन में मूर्ति पूजा की आस्था समाप्त हो गई और वह उसी रात उसने घर का त्याग कर दिया।

(3)स्वामी दयानंद ने समाज के लिए क्या-क्या किया?-स्वामी दयानंद ने समाज के लिए निम्न कार्य किया–  शिक्षा पर बल,विधवा पुन: विस्त्रीवाह ,मूर्ति पूजा और कर्मकांड को बंद ,छुआछूत को समाप्त और बाल विवाह प्रथा को अंत किया।

(4)स्वामी दयानंद का जन्म कब और कहां हुआ थास्वामी दयानंद का जन्म 1824 ई० में गुजरात के टंकारा ग्राम में हुआ था।

(5)आर्य समाज की स्थापना कब और किसने कीआर्य समाज की स्थापना 1875 ईस्वी में स्वामी दयानंद ने की थी

(6)स्वामी दयानंद समाज के महान उध्दारक थे, कैसे?19वीं शताब्दी में मुख्य समाज सुधारकों में स्वामी दयानंद अति प्रसिद्ध है ।उन्होंने रूढ़ी ग्रस्त समाज और विकृत धार्मिक व्यवस्था पर कठोर प्रहार करके आर्य समाज की स्थापना की। जिसकी शाखाएं देश-विदेश में शिक्षा सुधार के लिए भी प्रयत्नशील रही है।

(7)वैदिक धर्म के प्रचार के लिए स्वामी दयानंद ने क्या किया?वैदिक धर्म और सत्य के प्रचार के लिए स्वामी दयानंद ने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। वेदों के प्रति सभी अनुयायियों का ध्यान आकर्षित करने के लिए उन्होंने वेदों के उपदेशों को संस्कृत एवं हिंदी में लिखा।

(8)मध्यकाल में भारतीय समाज में फैली कुरीतियों का वर्णन अपने शब्दों में करें।मध्यकाल में अनेक गलत रीति-रिवाजो से भारतीय समाज दूषित हो गया था । जातिवाद, छुआछूत, अशिक्षा ,विधवाओं की दुर्गति आदि अनेक उदाहरण थे, जो भारतीय समाज को अंधेरा की ओर ले जा रहे थे । दलित हिंदुओं ने समाज में अपमानित होकर धर्म परिवर्तन शुरू कर दिए थे।

(9)स्वामी दयानंद ने समाज के उद्धार के लिए क्या किया?स्वामी दयानंद ने समाज के उद्धार के लिए स्त्री शिक्षा पर बल दिया और विधवा विवाह हेतु समाज को प्रोत्साहित किया । उन्होंने बाल विवाह समाप्त करवाने, मूर्ति पूजा का विरोध और छुआछूत समाप्त करने का प्रयास किया।

(10)महाशिवरात्रि पर्व स्वामी दयानंद के जीवन का उदबोधक कैसे बना?-एक बार महाशिवरात्रि के दिन शिव उपासना के समय उन्होंने देखा कि एक चूहा भगवान शंकर की मूर्ति के ऊपर चढ़कर उन पर चढ़ाए हुए प्रसाद को खा रहा है उससे उन्हें विश्वास हो गया की मूर्ति में भगवान नहीं होते हैं इस प्रकार में मूर्ति पूजा के विरोधी हो गए और वेदों का अध्ययन कर सत्य का प्रचार करने लगे। इस प्रकार शिवरात्रि पर्व उसने जीवन का उद्घोधक बना।

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