1 मंगलम पाठ
👉मंगल पाठ पद रूप में है
👉मंगल पाठ में कुल पांच मंत्र है
👉मंगल पाठ में चार उपनिषद है
👉वेद की संख्या चार है
👉उपनिषद 108 है
👉मंगल पाठ के रचनाकार वेदव्यास है
👉उपनिषद के रचनाकार वेदव्यास है
👉वैदिक साहित्य के अंतिम भाग दर्शनशास्त्र होते हैं
👉दर्शनशास्त्र के सिद्धांतों को उपनिषद प्रकट करता है
👉यह संसार परमात्मा के द्वारा अनुशासित है
👉सभी जगह परमात्मा है
👉सत्य का मुख हिरण्मयेन पात्र से ढका हुआ है
👉मंगल पाठ के पहले मंत्र में सत्य की चर्चा है
👉पहले मंत्र इशावस्या उपनिषद से लिया गया है
👉पहले मंत्र में सत्य के बारे में बताया गया है
👉दूसरा मंत्र कठोपनिषद से लिया गया है
👉दूसरा मंत्र में आत्मा के बारे में बताया गया है
👉सत्य की जीत होती है
👉असत्य की जीत नहीं होती है
👉सत्यमेव जयते किस उपनिषद से लिया गया है-मुंडकोप निषद से
👉देवलोक तक जाने का रास्ता सत्य से है
👉नदिया नाम और रूप को छोड़कर कहां मिल जाते हैं – समुद्र में
👉चौथा मंत्र भी मुण्डकोप निषद से लिया गया है
👉पहले मंत्र में सत्य और दूसरा मंत्र में आत्मा की चर्चा की है
👉आत्मा सूक्ष्म से सूक्ष्म एवं अनु से भी छोटा है
आत्मा महान से भी महान है