1 मंगलम पाठ
मंगल पाठ पद रूप में है
मंगल पाठ में कुल पांच मंत्र है
मंगल पाठ में चार उपनिषद है
वेद की संख्या चार है
उपनिषद 108 है
मंगल पाठ के रचनाकार वेदव्यास है
उपनिषद के रचनाकार वेदव्यास है
वैदिक साहित्य के अंतिम भाग दर्शनशास्त्र होते हैं
दर्शनशास्त्र के सिद्धांतों को उपनिषद प्रकट करता है
यह संसार परमात्मा के द्वारा अनुशासित है
सभी जगह परमात्मा है
सत्य का मुख हिरण्मयेन पात्र से ढका हुआ है
मंगल पाठ के पहले मंत्र में सत्य की चर्चा है
पहले मंत्र इशावस्या उपनिषद से लिया गया है
पहले मंत्र में सत्य के बारे में बताया गया है
दूसरा मंत्र कठोपनिषद से लिया गया है
दूसरा मंत्र में आत्मा के बारे में बताया गया है
सत्य की जीत होती है
असत्य की जीत नहीं होती है
सत्यमेव जयते किस उपनिषद से लिया गया है-मुंडकोप निषद से
देवलोक तक जाने का रास्ता सत्य से है
नदिया नाम और रूप को छोड़कर कहां मिल जाते हैं – समुद्र में
चौथा मंत्र भी मुण्डकोप निषद से लिया गया है
पहले मंत्र में सत्य और दूसरा मंत्र में आत्मा की चर्चा की है
आत्मा सूक्ष्म से सूक्ष्म एवं अनु से भी छोटा है
आत्मा महान से भी महान है